muddate

मुद्दतें बीत गईं उनको ये समझाने में
हमसा ना पाओगे इस जमाने में
दिल की हसरतों की कदर भी ना की गयी उनसे
वो लेते हैं शुकुन बस हमें सताने में.
वक्त था जब अपना तो वो करीब भी ना आ सके,
हम उनके दिल का एक कोना भी ना चुरा सके,
अब ये आलम है कि बस मैं हूं और मेरा गम है,
अब रहा ना कोई और इस जमाने में.
काश हम पहले ही कुछ बेबाक हो जाते,
इजहार- ए- इश्क ने एक सदी लगाई ना होती,
जो अपनी थी वो चीज वो पराई ना होती,
दिल में दर्द का सैलाब इस कदर ना उठता,
अब तो बरसों लग जाएंगे इसे मिटाने में.
अब तो बरसों लग जाएंगे इसे मिटाने मे……………

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