क्या माँगा?
मैंने तुमसे क्या माँगा?
एक छोटी सी दुनिया मांगी,
जिसमें मेरे सपने हों
हँसते गाते ख़ुशी मानते
सारे मेरे अपने हों
ऊँचा ये आकाश न माँगा
न मांगी नदिया गंभीर
हरे भरे ये वृक्ष न मांगे
जो हरते जन जन की पीर
हे दाता तुम हो महान
उच्चकोटि और प्रतिभावान
दे दो मेरा स्वप्न सलोना
जिसका हो मेरा हर कोना
तुम देते हो हर्ष सभी को
तुम ही देते हो संताप
फिर क्यूँ बना रखा है तुमने
नश्वर जीवन को अभिशाप
अब हमको वो शक्ति दे दो
न्याय धर्म पे जो ले जाए,
छल बल गुण से मुक्ति दे दो
ये सब बस पीछे रह जाए,
ये सब बस पीछे रह जाए।
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