“मुझे नहीं पता”
“मुझे
नहीं पता”
मुझे नहीं पता कि प्यार क्या है,
खुशियों भरा एक जीवन, एक
संसार क्या है
मुझे नहीं पता कि प्यार क्या है,
मांगे थे तन्हाई के बस दो पल उस्के साथ,
पर उसने रखने ना दिया कांधे पर भी हाथ,
किसी भी चीज की इतनी भी हठ यार क्या है?
मुझे नहीं पता कि प्यार क्या है.
हर दिन, हर
पल मुझे दोषी होने का एहसास दिलाया,
क्या ऊपर वाला मुझमें कुछ भी अच्छा ना दे पाया?
कुछ न कुछ
शिकायत मुझसे हर बार क्या है?
मुझे नहीं पता कि प्यार क्या है,
न जाने कितने दिन, कितने
महीने बीत गये,
तब तो दूर थे ही, अब
और भी दूर हो गये,
फिर भी मेरे अन्दर उसके लिये ही ये पुकार क्या है?
मुझे नहीं पता कि प्यार क्या है,
(प्रि.)
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