जब से

जब से खाया है धोखा तुमसे,मुझे हर निगाह में चोर नज़र आता है;
मुड़ जाऊँ चाहे जिधर कहीं, हर रास्ता बस तेरी ओर नज़र आता है।
चाहत है कि मिटा दूँ तेरी याद अपने दिल से,
पर बस यहीं ये कमबख्त कमज़ोर नज़र आता है।
अब तो आलम है कि चाहे कितना भी भागूँ तुमसे,
मुझे हर शहर,हर गली, हर कदम तेरा बस तेरा ही शोर नज़र आता है।

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