दिल में नफ़रत
दिल में नफ़रत होठों पे प्यार दिखाना ना आया,
जो मेरा है मुझे उसपे भी अधिकार जाताना ना आया।
लोग कैसे दो चेहरे लेकर जी लेते हैं,
दर्द में भी अपने होंठ कसकर सी लेते हैं।
मैं तो थक गई ये हुनर आजमा कर मगर,
मुझे तो खुद को ही हर बार समझाना ना आया।
मैंने देखा है ऐसे लोगों को जो खुशहाल जीते हैं,
और अंदर ही अंदर गम के घूँट पीते हैं।
अचम्भित हूँ मैं उनके ये दो रूप देखकर,
मुझे तो एक चेहरा भी बेहतर दिखाना ना आया।
किसी ने मुझसे कहा कि तू सबको अपनाया ना कर,
मचल रही है तेरे दिल में जो बात वो सबको बताया ना कर।
सलाह उस दोस्त की बड़ी अच्छी थी लेकिन
मुझे तो उस से भी कुछ छुपाना ना आया।
मुझे तो उस से भी कुछ छुपाना ना आया।
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