'पेड़ की कहानी' एक पेड़ था थोड़ा पुराना, जर्जर हो चुका था उसका ताना बाना, चिड़ियों ने आना बंद कर दिया था उसकी ओर, हों काली घनी रातें या सुनहरी भोर, फिर भी खड़ा था वो पेड़ एक आस के सहारे, थोड़ा झुक हुआ, पूरा सूखा, अकेला जंगल के किनारे, आस थी उसको कि जी उठूँगा एक दिन मैं भी, मुझ तक भी आएगी शीतल बयार कभी न कभी, कुछ पत्ते थे, मुरझाए से, अनमने से लटके, खाये थे उन्होंने वक़्त के बेशक़ीमती झटके, भरोसा था उसे कि जब तक ये पत्ते रहेंगे, बाकी के पेड़ उसे ज़िंदा मानेेंगे और कहेंगे, दिखाता था वो जंगल को कि वो मज़बूत कितना है, जंगल भी कहता था कि हाँ, इसका तो मोटा तना है, पर हो चुका था वो अंदर से खोखला और बेजान, उसके पत्ते भी गवाँ चुके थे, अपना रंग, अपनी पहचान, आज वो पेड़ गिर गया है, जंगल के एक छोर पर अकेला पड़ा है, आस जो बची थी वो अब टूट चुकी है, टहनियाँ जो साथी थीं वो अब छूट चुकी हैं, वो जंगल से अलग उगा था, या जंगल ही हो गया था उस से दूर, या फिर विचित्र होने को वो ही था मज़बूर, जंगल ने समझा कि वो अकेला ही भला है, उसके पास स्वयं में ही जीने की अद्भुत कला है, ...
छुपी हुई है इस उर में असीमित पीडा, जब तुम चाहोगे तो कह दूंगी. उतार रखे हैं बदन से अपने सारे गहने जब तुम आओगे तो पहनूंगी. छोड गये हो मुझको तुम इस दुनिया अनजानी में रह ना जाऊं सज्ज...
When teachers shout at the students or scold them for a certain reason, the students think that the teachers want to humiliate them but this is not the scene. Most of the students of today’s generation must be of the same view. But dear students this is completely wrong. When the teachers scold you then it means that there is something in your behavior which is unacceptable. The teachers want to mould you better; better for a difficult and competitive life ahead; the life which is full of unfavourable conditions. The teachers just want you to learn something from their experience. They want to see you a suc...
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