न जाने क्या हो गया है
दुनियां की इस भीड़ में कुछ मेरा मुझसे खो गया है,
आजकल यारों मुझे न जाने क्या हो गया है।
खो गया है वो मेरा जो मेरे पास होता था,
साथ जिसके मर के भी जीने का एहसास होता था;
वो मेरा हिस्सा कहीं मुझमें ही सो गया है,
आजकल यारों मुझे न जाने क्या हो गया है!
मेरी मस्ती,मेरा अल्हड़पन, मेरी बकबक का बेफिक्र अंदाज़,
कल तक तो यहीं था! पर नहीं मिल रहा आज;
कैसे लाऊँ उसे जो कई बार रो गया है,
आजकल यारों मुझे न जाने क्या हो गया है।।
Comments
Post a Comment