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न जाने क्या हो गया है

दुनियां की इस भीड़ में कुछ मेरा मुझसे खो गया है, आजकल यारों मुझे न जाने क्या हो गया है। खो गया है वो मेरा जो मेरे पास होता था, साथ जिसके मर के भी जीने का एहसास होता था; वो मेरा हिस्सा कहीं मुझमें ही सो गया है, आजकल यारों मुझे न जाने क्या हो गया है! मेरी मस्ती,मेरा अल्हड़पन, मेरी बकबक का बेफिक्र अंदाज़, कल तक तो यहीं था! पर नहीं मिल रहा आज; कैसे लाऊँ उसे जो कई बार रो गया है, आजकल यारों मुझे न जाने क्या हो गया है।।

"SHE" too is someone

Shattered and broken she lays upside down, Mob comes and watches without any frown. Is it the scene, we waited to see? Next can be anyone; you or me. Why don’t we find pain in the agony of others? They may be sisters, or may be mothers. We’ll have to teach our males to behave, We are civilized now; we don’t live in caves. Limits, restrictions, these words should be there, We’ll have to learn to sympathize and care. The world is our own and we are the makers, Some of us support, and others mere shakers. Now it is enough and there have to be an end, The loss otherwise, who is going to mend? (PRI)
हो रही थी परीक्षा आज मेरी क्लास में बैठा था एक मित्र मेरा आज मेरे पास में। एक था सवाल कुछ ऐसा जो मुझे नहीं था आता, पर नकल करने का इरादा भी नहीं था भाता। क्या करूँ मैं क्या करूँ था बस इसी एहसास में, बैठा था एक मित्र मेरा आज मेरे पास में। गिनने लगा मैं अंक अपने कुछ सोचने था लगा, मुश्किल तभी एक आ गयी जैसे नींद से था मैं जगा। जो प्रश्न छोड़ा था मैंने परसों फ़िजूल जान कर, टीचर ने वो पूछ लिया था सबसे इम्पॉर्टेन्ट मान कर। हो जाऊँगा अब फेल मैं वो प्रश्न था कम्पल्सरी, आँख, भौहें, त्योरियाँ सब चढ़ गयी थीं तब मेरी। जैसे ऑक्सीजन ना आ रही हो अब तो मेरी साँस में, बैठा था एक मित्र मेरा आज मेरे पास में। वो प्रश्न १५ अंक का था, था बड़ा विकराल सा, शुक्र,मंगल और शनि की तीव्र वक्र चाल सा। हो गयी गलती है मुझसे क्या करूँ मैं अब भला? क्यूँ रात कल थक हार कर जल्दी से सोने मैं चला? दे देगा उत्तर मित्र अब था बस इसी विश्वास में, बैठा था एक मित्र मेरा आज मेरे पास में। साहस जुटाकर मित्र को दी दोस्ती की इक क़सम, पर मित्र ने जो मुँह फेरा तो ये हुआ ना तब हज़म। मिन्नत भी की, रिश्वत भी
          भूल के खुद को मेरी कमियों के साथ उसने मुझको अपनाया है, भूल के खुद को उसने मुझे सीने से लगाया है, उसकी हर ख़्वाहिश से पहले आता है नाम मेरा, महसूस करती हूँ हरपल बस उसकी बाँहों का घेरा, मेरे सपनों को मुझसे पहले उसने सजाया है, भूल के उसने खुद को मुझे सीने से लगाया है। उसके ज़ेहन में रहता है हरपल सिर्फ़ मेरा ही ख़याल, ना रहूँ अगर मैं पास तो हो जाता है बुरा हाल, साथ उसका पा कर मैंने सब कुछ भुलाया है, भूल के उसने खुद को मुझे सीने से लगाया है। चुपचाप दबेपावँ वो मेरी ज़िन्दगी में आया, दे कर मुझे प्यार मुझे खुद से मिलाया, नाम उसका पाकर मैंने सबकुछ पाया है, भूल के उसने खुद को मुझे सीने से लगाया है।