हंसने का बहाना दे दो
रोने के ठिकाने बहुत हैं हंसने का बहाना दे दो। गुन गुन करती फिरती रहूं एक ऐसा फसाना दे दो समझौतों की दुनियां है ये समझौतों के ही रिश्ते हैं तभी हैं डरते इस धरती पर रहने से भी फरिश्ते हैं। सुन के जिसको जी लूँ हंस कर एक ऐसा तराना दे दो रोने के ठिकाने बहुत हैं हंसने का बहाना दे दो। औरों से क्या उम्मीद करूं खुद तुमने सपना तोड़ दिया भटक रही इस रूह को मेरी अब तुमने भी छोड़ दिया हंस के, खुल के मैं जी पाऊ एक ऐसा ज़माना दे दो रोने के ठिकाने बहुत हैं हंसने का बहना दे दो। देकर दर्द मुझे अनचाहे तुम भी शायद मुरझाते हो फिर क्यूँ मुझको ताने दे कर मन ही मन सुलगाते हो तुम थे, मैं थी, हम थे वो समय पुराना दे दो रोने के ठिकाने बहुत हैं हंसने का बहाना दे दो।।