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Showing posts from February, 2015
          भूल के खुद को मेरी कमियों के साथ उसने मुझको अपनाया है, भूल के खुद को उसने मुझे सीने से लगाया है, उसकी हर ख़्वाहिश से पहले आता है नाम मेरा, महसूस करती हूँ हरपल बस उसकी बाँहों का घेरा, मेरे सपनों को मुझसे पहले उसने सजाया है, भूल के उसने खुद को मुझे सीने से लगाया है। उसके ज़ेहन में रहता है हरपल सिर्फ़ मेरा ही ख़याल, ना रहूँ अगर मैं पास तो हो जाता है बुरा हाल, साथ उसका पा कर मैंने सब कुछ भुलाया है, भूल के उसने खुद को मुझे सीने से लगाया है। चुपचाप दबेपावँ वो मेरी ज़िन्दगी में आया, दे कर मुझे प्यार मुझे खुद से मिलाया, नाम उसका पाकर मैंने सबकुछ पाया है, भूल के उसने खुद को मुझे सीने से लगाया है।